प्रख्यात साहित्यकार डा.बुद्धिनाथ मिश्र द्वारा शीतल वाणी के राजेंद्र राजन विशेषांक पर मेल से भेजी गयी शुभकामनाएँ-
प्रिय वीरेंद्र भाई ,
आपके द्वारा सम्पादित और प्रकाशित 'शीतल वाणी ' का गीतवन्त राजेंद्र राजन अंक आज ही मिला और आज ही शुरू से अंत तक पढ़ गया। सबसे पहले मैं आपको बधाई देता हूँ 'गीतवन्त ' विशेषणवाची शब्द पर। इससे अच्छा विशेषण राजेंद्र भाई के लिए हो नहीं सकता। इसके बाद आपके संपादन का क्रम आता है। आपने जिस कौशल से ,पहले चित्रावली,उसके बाद गीतावली और उसके बाद विरुदावली को सजाया है,वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। मैंने अपने समकालीन अनेक कवियों पर केंद्रित विशेषांक देखे हैं ,मगर जो सम्पूर्णता इसमें है,वह अन्यत्र कहीं नहीं। इसका एक कारण सहारनपुर का साहित्यिक माहौल , दूसरा राजेंद्र भाई का मधुर स्वभाव और तीसरा आप जैसे निष्ठावान पत्रकार का होना है। इस अंक के अधिकतर कवि मंच के निष्णात कवि हैं,जो गद्य कम ही लिखते हैं। उन सबने जिस तरह सहज भाषा में अपने भावों को उड़ेला है ,वह विस्मित करता है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनसे लेख लिखाना बैल को दूहने जैसा असंभव काम है। मगर आपके लगातार तगादों और राजेंद्र भाई के प्रति प्रगाढ़ प्रेम के वशीभूत होकर वे भी द्रवित हो उठे।
मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि शीतल वाणी ' का गीतवन्त राजेंद्र राजन अंक ' आपकी एकनिष्ठ संपादन-कला का विशिष्ट उदहारण है ही ,गीत विधा के शोधकर्ताओं के लिए भी उपयोगी अंक है। इसे प्रमुख विश्वविद्यालयों के हिंदी विभागों में अवश्य भिजवाएँ। और हो सके तो इसे ब्रेल लिपि में छपवाकर ,ताकि हिंदी के अंधे अध्यापक इसे पढ़ सकें।
गीतकार समुदाय की ओर से आपको आभार और बधाई।
डॉ बुद्धिनाथ मिश्र
5/2 वसंत विहार एनक्लेव
देहरादून-24006
मो.7060004706